मुझे पीपल बुलाता है
प्रखरतम धूप बन राहों में, जब सूरज सताता है। कहीं से दे मुझे आवाज़, तब पीपल बुलाता है। ये न्यायाधीश
Read Moreप्रखरतम धूप बन राहों में, जब सूरज सताता है। कहीं से दे मुझे आवाज़, तब पीपल बुलाता है। ये न्यायाधीश
Read Moreब्रह्म का ब्रह्मांड पर, उपकारहै माँ की दुआ। दैव्य से हमको मिला, उपहार है माँ की दुआ। भोग भव के
Read Moreएक नन्हीं प्यारी चिड़िया, आज देखी बाग में। चोंच से चूज़े को भोजन-कण चुगाती बाग में। काँप जाती थी वो
Read Moreजन्मदाता हे पिता तुम भूमि पर वरदान हो। घर चमन के मुग्ध माली हम गुलों की जान हो। शक्त पालक
Read Moreहरी चदरिया तहा रही कुदरत। सबक हमें अब सिखा रही कुदरत। विष-बेलें जो हमने हैं बोईं उनका ही विष पिला
Read Moreछीन सकता है भला, कोई किसी का क्या नसीब? आज तक वैसा हुआ, जैसा कि जिसका था नसीब। माँ तो
Read Moreरात पर जय प्राप्त कर जब, जगमगाती है सुबह। किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह। त्याग बिस्तर नित्य
Read Moreपसीने से जब-जब नहाती है गर्मी। हवाओं से हमको मिलाती है गर्मी। उगे-भोर, चिड़िया बनी चहचहाती चमन की तरफ लेके
Read More“सुनो नीलू डियर, आज शाम को माँ-पिताजी से मिलने चलना है, मैं जल्दी आऊँगा, तुम तैयार रहना…” कहते हुए आशीष
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