कभी तो दिन वो आएगा
कभी तो दिन वो आएगा, सभी के अपने घर होंगे। मिलेंगी रोटियाँ सबको, न सपने दर-बदर होंगे। मिलेंगे बाग खेतों
Read Moreकभी तो दिन वो आएगा, सभी के अपने घर होंगे। मिलेंगी रोटियाँ सबको, न सपने दर-बदर होंगे। मिलेंगे बाग खेतों
Read Moreजब से कर ने गही लेखनी शीश तान चल पड़ी लेखनी बिन लाँघे देहरी-दीवारें दुनिया भर से मिली लेखनी खूब
Read Moreद्वार दिल के, तुमने पहरे तो बिठाए अब अकेलापन तुम्हें ही, खा न जाए बाँट सकता ख़ुशबुएँ गुलशन तभी जब
Read Moreवसुंधरा करे पुकार, मीत जागते रहो कि लौट जाए ना बहार, मीत जागते रहो उमड़ रहे हैं उपवनों में, कंटकों
Read Moreजब क़लम को थामती, मेरी गज़ल है। खूब कहना जानती, मेरी गज़ल है। पूर होता जब गले तक सब्र-सागर तब
Read Moreसुविधा नन्हें सुजान को गोद में लिए कमरे की खिड़की से एकटक आसमान को निहार रही थी कि अचानक एक
Read Moreकल पुर्जों पर ही यह जीवन, यदि मानव का निर्भर होगा। नई सदी में ज़रा सोचिए, जीना कितना दुष्कर होगा।
Read Moreजिसको चाहा था तुम वही हो क्या? मेरी हमराह ज़िंदगी हो क्या? कल तो हिरनी बनी उछलती रही क्या हुआ
Read Moreजो बतियाते सिर्फ कलम से, अँधियारों में। वो कब छपते खबरों में या, अखबारों में। नमन उन्हें जो, धर आते
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