फूल तितलियों वाला उपवन
बदला मौसम फिर बसंत का हुआ आगमन। खिला खुशनुमा फूल-तितलियों वाला उपवन। ऋतु रानी का रूप निरखकर प्रेम अगन में
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Read Moreलघुकथा “अरे शालू दीदी, आप! विनी की शादी के बाद तो शक्ल ही नहीं दिखाई, माँ आपको बहुत याद करती
Read Moreगर्मी की एक शाम को मैं चौपाटी पर अपने पति व बच्चों के साथ चाट का आनंद ले रही थी,
Read Moreमुझको तो गुज़रा ज़माना चाहिए। फिर वही बचपन सुहाना चाहिए। जिस जगह उनसे मिली पहली दफा उस गली का वो
Read Moreसितारों ने भेजी भुवन को बधाई। नए साल की भोर, लो मुस्कुराई। गगन ने किया घोर, कोहरे से स्वागत चमन
Read Moreमुस्कान देख मेरी, है मुसकुराता मौसम। तुम आ रहे हो मिलने, यह जान जाता मौसम। आती बहार अचानक, खिल जातीं
Read Moreजिसे पुरखों ने सौंपा था, वो अपनापन कहाँ है? जहाँ सुख बीज रोपा था, वो घर आँगन कहाँ है? सितारे
Read Moreपीर ढो रही पल-पल, धरती रोती है। नीर खो रही जल-जल, धरती रोती है। डेरा डाले, ठाठ-बाठ से, बागों में
Read Moreज्योति-दीपक सौख्य का उपहार दीवाली। बाँध लाई गाँठ में फिर प्यार दीवाली। आस के आखर उभर आए हवाओं में कर
Read More१) पुनर्जन्म है सच अगर, चाहूँ मैं हर बार हिन्दी की सेवा करूँ, जन्मूँ बारम्बार। जन्मूँ बारम्बार, देश में अलख
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