साहित्य बनाम प्रसिद्धि
विचारों के अंतर्द्वंद से फूटता है; भावनाओं का ज्वालामुखी। निकलता है शब्दों का गर्म लावा; बिखर जाता है कागज के
Read Moreविचारों के अंतर्द्वंद से फूटता है; भावनाओं का ज्वालामुखी। निकलता है शब्दों का गर्म लावा; बिखर जाता है कागज के
Read Moreराष्ट्रपिता महात्मा गांधी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व आदर्शवादी रहा है। वे न केवल एक महान राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, विचारक और समाज
Read Moreजीवन की अमूल्य धरोहर सी , होती हैं यह सतरंगी यादें…….! बचपन की नादानियों को समेटे यादें, यौवन की अल्हड़ता
Read Moreबदन में थोड़ी सी मिट्टी बचाए; उम्र के मधुमास को पीछे छोड़, टूटे घरौंदे के टुकड़े समेटे; तन के दीपक
Read Moreमैं कोई पाषाण नहीं जो ठोकर खाकर पड़ी रहूं, न मैं माटी की मूरत हूं जो एक कोने में सजी
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