कहानी – उसके हिस्से की धूप
मई माह की चिलचिलाती धूप में झुलसते और गर्म हवाओं के तमाचे खाते हुए वह तेज़-तेज़ कदम रखते हुए घर
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Read Moreसड़क पार स्थित लाला जी की दुकान से अवसादित मन लिये लौटी दिव्या पलंग की पीठ से सिर टिकाए आँखें
Read Moreनगर सेठ सहाय साहब के आवास पर आयोजित होली-मिलन समारोह में शामिल होने के लिए विधायक शुभ्रा देवी खादी-रेशम की
Read More” आइये सुधीर भाई आइये, आज राह भूल कर कैसे चले आये?” ” मैं तो राह नहीं भूला प्रोफेसर साहब
Read More१. पास मेरे सिर्फ तेरी एक ही तो तस्वीर थी वही मेरे सुनहरे ख्वाबों की ताबीर थी अाँसु के खारे
Read Moreसुहाग-पर्व से एक दिन पूर्व दोपहर को मेरे ब्लॉक की छोटी-बड़ी उम्र की लगभग सारी महिलाएँ सजी-धजीं मेरे बड़े से
Read Moreरविवार की सुनहरी धुपहरी दोपहर को बच्चों के साथ खेलती विनी सहसा चक्कर खा कर गिर पड़ी तो घबरा कर
Read Moreसर्दियों की एक सूनी सुरमई साँझ थी वह,रश्मि पीहर गई हुई थी,जब माँ ने रजत के सामने अपने मन की
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