शुद्ध गीता छंद आधारित गीत
चाॅंदनी फैली हुई है, श्यामला रजनी प्रसार। कर रही है तारिका ज्यों,रात में नौका विहार। टिमटिमाते जुगनुओ की,रंग भू वह
Read Moreचाॅंदनी फैली हुई है, श्यामला रजनी प्रसार। कर रही है तारिका ज्यों,रात में नौका विहार। टिमटिमाते जुगनुओ की,रंग भू वह
Read Moreअंबर को लिख, सागर को लिख, मीरा के गिरधर नागर को लिख। ऐ कलम तेरी जय घोष सदा, वसुधा के
Read Moreत्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में,साहब का निर्देश था।शिक्षक बने पदाधिकारी,घर में बड़ा क्लेश था।करोना काल के निर्देशों की,खूब धज्जियां उड़ाई गई।गांव
Read Moreइस हृदय के चित्रपट पर, प्रेम का तुम रंग भर दो। अब की होली में पिया, मुझको होली सा कर
Read Moreशब्द की सारी वर्जनाएं, तोड़कर विस्तार दे दो। गढ रहे हो प्रेम तो फिर, एक सुघड़ आकार दे दो। घोल
Read Moreजब भ्रूण बनकर आया तू गर्भ में, रक्त बनकर धमनियों में, बह रही थी ममता। जब तू शिशु बनकर आया
Read Moreमानव के कुकृत्यों से, मां वसुंधरा भी अकुलाई है। मानव ने मानवता त्यागी, तब यह विपदा आई है। दया ,प्रेम
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