गीत/नवगीत

ऐ कलम तेरी जय घोष सदा

अंबर को लिख, सागर को लिख,
मीरा के गिरधर नागर को लिख।
ऐ कलम तेरी जय घोष सदा,
वसुधा के तू कण कण लिख।
लिख दे कोई इतिहास नया,
पुष्पों का धवल सुभाष नया।
प्रकृति की सरल उमंग लिख दे,
मनभावन नवल तरंग लिख दे।
तू आसमान का तारा लिख,
तू अटल कोई सितारा लिख।
ऐ कलम……….
विपदा की मारी मां लिख दे,
कलकल बहती गंगा लिख दे।
कलरव करते पक्षी लिख दे,
नर खाते नरभक्षी लिख दे।
तू भाव की प्रवणता लिख,
तू प्रणय की विकलिता लिख।
ऐ कलम………….
मदिरालय का हाला लिख दे ,
पांव का फूटा छाला लिख दे।
गांव की कोई बाला लिख दे
मनभावन रूप निराला लिख दे।
तू मंदिर लिख ,पुजारी लिख,
तू राह का कोई भिखारी लिख।
ऐ कलम………….
तू वीरों की गाथा लिख दे,
धरती के विधाता लिख दे।
प्रकृति के दोहन का दृश्य लिख दे,
प्राण वायु का संकट लिख दे।
तू जीवन की दुश्वारि लिख,
करोना की महामारी लिख।
ऐ कलम….
तू गीता और पुराण लिखें,
तू बाइबल और कुरान लिखें।
ए कलम तू ही सब सार गढे,
तू शब्दों का संसार गढे।
तू भाव को मुखरित करती,
सब में नवजीवन है भरती।
ऐ कलम…….

— कामिनी मिश्रा

कामिनी मिश्रा

पिता का नाम- स्वर्गीय विजयकांत पांडे पति का नाम - श्री दीनबंधु मिश्रा वर्तमान / स्थायी पता प्लॉट नंबर 18 राजीव पुरम काकादेव कानपुर यूपी फोन नं.9695252037 जन्म तिथि -01/06/1976 शिक्षा -m.a. B.Ed व्यवसाय -प्रधान शिक्षिका बेसिक शिक्षा परिषद एवं (वरिष्ठ कवियत्री)