पत्थर का शहर
तुम्हें याद है न.. कभी तुम्हारे अंदर एक गाँव बसा करता था लहलहाते खेतों की ताज़गी लिए भोला भाला,सीधा साधा
Read Moreतुम्हें याद है न.. कभी तुम्हारे अंदर एक गाँव बसा करता था लहलहाते खेतों की ताज़गी लिए भोला भाला,सीधा साधा
Read Moreशापिग कामप्लेक्स में घुसते ही जोरदार स्लूट मारकर जिस गेटकीपर ने दरवाजा खोला,उसे देखते ही मैं अवाक रह गई।अचानक मुँह
Read Moreकतरा कतरा बन जि़न्दगी गिरती रही समेट उन्हें, मै यादों में सहेजती रही अनमना मन मुझसे क्या मांगे,पता नहीं पर
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