Author: डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन

मुक्तक/दोहा

सच कहा बिलावल तुमने

सच कहा बिलावल तुमने, पाकिस्तान के अन्दर लड़ोगे,सीमा पर तो भारतीय फौज, क्या खाकर उनसे लड़ोगे?सिन्धु सतलुज नदीयाँ हमारी, सिन्धु

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कविता

कविता

आत्मा मर चुकीशरीर निष्प्राण होरीढ़ हड्डी विहीनकमर की तान हो,बिस्तरों पर लेटकरजो न्यायधीश बन सकेबेहया निर्लज्जों सेक्यों अपेक्षित सम्मान हो?क्यों

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