गीतिका/ग़ज़ल डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 21/07/2022 गीतिका पतझड़ में डाल से टूटा पत्ता यह अहसास कराता है, जाना है सबको एक दिन, नये की आस कराता है। Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 16/07/2022 मुक्तक लज्जा पुरूषों का गहना, आज समझ में आता है, नग्न वेश में कोई पुरुष, सबके सम्मुख नहीं आता है। अर्धनग्न Read More
गीत/नवगीत डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 07/07/2022 तब आज़ादी पायी थी भारत में फहराया तिरंगा, विश्व में शान बढ़ाई थी, जय हिन्द का उद्घोष हुआ, तब आज़ादी पायी थी। जन जन Read More
कविता डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 07/07/2022 कविता पहले घर के बड़े बूढ़ों को, घर से बाहर भगाना है, बहुओं की आज़ादी का, बेटों को जश्न मनाना है। Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 29/06/2022 मुक्तक जिहादियों के समर्थन में जो भी खड़ा हो, क़ानून का शिकंजा पहले उस पर कसा हो। भाईचारे की बातें बस Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 23/06/2022 धर्म जन्म से जो भी हैं हम, वह तो रहेंगे, निज धर्म की पहचान, सबसे कहेंगे। धर्म ने हमको सिखाया, क्यों Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 17/06/2022 मुक्तक अति विनम्रता हानिकारक, ज्ञानीजन यह कहते, दुष्टों की दुष्टता को, सदा सज्जन जन ही सहते। विनम्र बने वृक्ष नित फल Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 15/06/2022 मुक्तक कुछ नहीं मिला तो क्यों नहीं मिला, ग़र कुछ मिला तो वो क्यों नहीं मिला? इसी जद्दोजहद में सब कुछ Read More
सामाजिक डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 10/06/2022 एक विचार आजकल एक नयी बहस को जन्म दिया जा रहा है कि जाति खत्म करो तो देश का विकास होगा। जाति गरीब Read More
मुक्तक/दोहा डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 06/06/2022 मुक्तक सच ही तो बताया था, झूठ तो नहीं बोला, इशारा ही किया था, परदा तो नहीं खोला। नग्न था सच Read More