वर्ष 2020
निराशा के गहन तम में, आशा की जोत जलाता हूं, कोरोना के कालखंड में, पर्यावरण की बात बताता हूं। बिखर
Read Moreताउम्र निभाता रहा फर्ज, खुद की खातिर कभी जिया ना, सुकुन से बैठकर नहीं खायी रोटी, दो घूंट पानी पिया
Read Moreपितृ पक्ष में कीजिए अपने पुरखों को याद, श्रद्धा भक्ति से कीजिए, अर्पण तर्पण आज। गाय को चारा देवें, कौओं
Read Moreवह करता है अक्सर देह से देह तक की यात्रा बिना उसकी मर्जी के और शायद बलात्कार भी उसकी आत्मा
Read More