Author: डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन

कविता

व्याप्त हैं

दुष्प्रवृत्तियाँ चारों तरफ़, कौरवों सी व्याप्त हैं,सत्प्रवृत्तियाँ पाण्डवों सी, यहाँ संघर्षरत हैं।कुरुक्षेत्र में युद्धरत, निष्काम भाव चिंतन रहे,द्वन्द्वात्मक जगत से

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