मुक्तक
खेल है सब दृष्टि और दृष्टिकोण का,पतझड़ में पत्ता झड़ गया, या गौण का।उपयोगी बने टूटकर भी, हमारे हाथ है,ननसृष्टि
Read Moreमाटी की सौंधी ख़ुशबू भी, जिनको लगती बू बास ज़रा,वो कहते हम लिखेंगे, अब इस धरती का इतिहास ज़रा।वेद पुराण
Read Moreराष्ट्र चिंतन की चर्चा करने से पूर्व यह समझना अति आवश्यक है की जिस राष्ट्र के चिंतन की हम बात
Read Moreबुजुर्ग हमारे घर के रक्षक, बुजुर्ग संस्कृति के संरक्षक।दया धर्म का पाठ पढ़ाते, बिछुडों से भी मेल कराते।प्रीत धर्म और
Read Moreबातों की बातों में मत उलझो,नैनों की बातों में मत उलझो।कहते हैं कुछ और सोचते कुछ हैं,कवियों की बातों में
Read Moreवरिष्ठ साहित्यकार डॉ कीर्तिवर्धन अग्रवाल की तीन पुस्तकों “मेरे आराध्य राम, मेरी लोकप्रिय कविताएं, एवं सतरंगी कविताऐं” का लोकार्पण श्री
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