Author: *किशन भावनानी

सामाजिक

नए वर्ष में दुख और परिश्रम के महत्व को समझें

भारत में हमने आदि काल से ही बड़े बुजुर्गों, ज्ञानियों, विद्वानों से अनेक कहावतें, अल्फाज, तकरीरें, समझाइश इत्यादि से अनेक

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