मेरे ह्रदय की सात्विक भावना “
तुम जितना करती हो मेरे काव्य की सराहना उतनी ही ज्यादा पवित्र हो जाती है मेरे ह्रदय की सात्विक भावना
Read Moreतुम जितना करती हो मेरे काव्य की सराहना उतनी ही ज्यादा पवित्र हो जाती है मेरे ह्रदय की सात्विक भावना
Read Moreबादलों की तरह मन में उमड़ आते है मृदु भाव प्रेम करना मनुष्य का है स्वभाव उठने लगते हैं भीतर
Read Moreइस जीवन में आते आते कितने आ गए हम तुम पास कभी कभी लगता है बेतरतीब सी मेरी चाहत
Read Moreपीछे छूटे हुए . उन सारे मील के पत्थरों का शुक्रिया उनके पास से गुज़रते हुए हर बार
Read Moreदेख कर तुम्हारी तस्वीर लिखता हूँ कवितायें फिर पर कभी कह नहीं पाता पूरी बाते मन रह जाता है आखिर
Read Moreहममे ऐसी सोहबत हो जाए की दोनों में क़ुरबत हो जाए एक दूसरे में तलाशे खुद को दोनों की
Read Moreलिए अपनी सांसों में मोंगरे सी महक आ जाया करो तुम यूँ ही कभी कभार इधर अचानक आ जाया करो न जाने
Read Moreपूरी उम्र जीते रहें मुझे शब्द पर समझ न पाया मै उनके अर्थ मौन ही तो हूँ मै जो
Read Moreतेरा पीछा करते करते , तेरा साया बन गया हूँ तेरे द्वारा अघोषित तेरा ,सरमाया बन गया हूँ तेरी मुहब्बत ने
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