ओर छोर
तेरी याद जाए तो फुरसत मिले तू रूबरू आए तो फ़ुरसत मिले सागर की ओर बहती है नदियाँ कोई
Read Moreचाँद डूबने के बाद सूरज उगने से पहले भोर की पहली आत्मीय किरण से स्वागत में तू कुछ कह
Read Moreक्या कहूँ ..तुमने तो सब कह दिया” समुद्र ने मुझे रोकना चाहा लहरों के हाथ मुझे बुलाते रहे उसकी पुकार
Read Moreतुम्हारे और मेरे बीच उदगम से सागर जितनी यह कैसी है दूरी रास्ते कहते है चलते रहो नदियाँ कहती है
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