गाँव के इस कमरे
एक कंदील ..जिसे अँधेरे में रहने की आदत हैं औंधे लेटे हुए पुराने कपड़ों से भरे कुछ बोरे ..जिनके मुंह
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Read More“बदले में “ जितना किसी को चाहोगे बदले में उतना ही दुख पाओगे मिलन की कोमल पंखुरियाँ झर जाती हैं
Read Moreमैं क्यों उसे चाहने लगा हूँ मेरी हथेलियों पर बनी वो अब नयी एक भाग्य रेखा हैं न मैंने उसे
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