दोहे
राज गया राजा गये, गया राजसी रंग, राजतन्त्र के राज में,लोकलाज क्यों भंग ? राज गया राजा गये, गया राजसी
Read Moreसुलग रही है आग चतुर्दिक, दहशत फैली नगर नगर । कातिल बैठे घात लगाये, छीन रहे हैं सुख सारे ।
Read Moreसैकड़ों लड़कियाँ देख चुके पर तुझे कोई लड़की पसन्द ही नहीं आती । लड़की देखकर जवाब नहीं देता और दो
Read Moreफोन पर शिकायती लहजे में उमा बोली – “माँ तुम्हारी सलाह पर संयुक्त परिवार से अलग होकर मैं सुखी नही
Read Moreरहे जहाँ सुहासिनी, कभी न अन्धकार हो सफ़ेद रंग देख के, कलंक शर्मसार हो | सभी समान भाव से, रखे
Read Moreहमीर ने जैसे ही घण्टी बजाई, कुत्ता भोकने लगा । रघुवीर ने कहा – “आ जाओ, डरो मत, ये काटेगा
Read Moreपिता जी को लौटकर आते देख शिवपूजन आश्चर्य चकित हो बोला- क्या बात है पिताजी, बस छूट गई क्या ?
Read Moreसदाशिव जी कह रहे थे कि जितनी भी शारीरिक व्याधियां और बीमारियों होती है, उनके लिए कोई और नही, स्वयं
Read Moreफोन की घंटी बजी तो तिवारी जी पत्नी ने फोन उठाया और बोली – “बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब दुर्गेश
Read Moreबँधी बुहारी से हो हमको, शक्ति भरा अहसास । मिलकर रहते वे ही करते, ताकत का आभास ।। सबने मिलकर
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