विरहानल तन-मन झुलसाती
दुख से प्रीत लगी है ऐसी, पलभर दूर नहीं रह पाती ।रीत गए आँसू नयनों के, विरहानल तन- मन झुलसाती
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Read Moreसुलग रही है आग चतुर्दिक, दहशत फैली नगर नगर । कातिल बैठे घात लगाये, छीन रहे हैं सुख सारे ।
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