मुक्तक
कहाँ वो चैनो-सुकून कहाँ वो कारवां,कहाँ वो वादियां कहाँ वो रहगुज़र,जहाँ किया था मुहब्बत का इज़हार हमने,आज फिर रहा तेरा
Read Moreतुम्हारी याद की खुशबू ,रहती हरदम साथ हमारे,कहाती कोयल सम कुहुक कर,तुम हो हमारे, हम हैं तुम्हारे। चुपके से मन
Read Moreललक कुछ करते रहने की,हमेशा साथ रहती है,फ़लक तक पहुंचोगे तब ही,ये अक्सर कहती रहती है। प्रवाहित हो सतत सरिता,तभी
Read Moreरजत स्वर्ण बनना चाहता था, पर पीतल भी नहीं बन पा रहा था.लेखक था वह और उसकी #कलम खूब खूब
Read Moreस्नेह-धागे और स्नेहिल संवाद-सुई से,जिंदगी की फटी चादर की तुरपाई करिए,मुस्कुराने की कला से उधड़ते रिश्तों में,बस इसी तरह खुशियों
Read Moreसीनियर सिटिज़ंस की मीटिंग चल रही थी. एक घंटे का योग का कार्यक्रम समाप्त हो चुका था. अब चाय-स्नैक्स का
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