Author: *लीला तिवानी

कविता

सुपथ पर चलूं मैं

कल्पवृक्ष-सी कामना अमरबेल सी-प्रीत,बनाती है जीवन को मनभावन-सा मीत,लहलहाए उर-आंगन, मन हो प्रसन्नचित,बने सरस सरगम, सृजित हो मधुरिम गीत।प्रेम-प्यार-भ्रातृत्व, जग

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