सदाबहार काव्यालय-25
गीत मन के दीप जला दे भगवन दीप बहुत-से जला चुकी हूं, हुआ न दूर अंधेरा, जीवन बीत
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Read Moreहमसे है धरती की रौनक, हम धरती की शान हैं हम भारत के नन्हे सेवक, भारत देश महान है-
Read Moreप्यारे बच्चो, जय हिंद, पिछले साल हमने कविता और काव्यमय कहानियों की न केवल चर्चा ही की थी, बल्कि कविता
Read Moreमुक्ति में है मौज बड़ी लाती है खुशियों की झड़ी, मुक्ति ही अनमोल रतन है, क्या सुख दे हीरों की
Read Moreगीत चांदनी धुंध में नहाई है आज मानवता डगमगाई है, चांदनी धुंध में नहाई है. पेड़ों
Read Moreआरोप मुक्त सुभोमय ने आज चैन की सांस ली थी. उसके मन में अनेक विचार आलोड़ित हो रहे थे. इस
Read Moreहम महलों में रहने वाले, सच्चे सुख को कैसे जानें? सच्चा सुख कैसा होता है, यह तो बस बंजारे जानें.
Read Moreचाहो अगर तुम हरियाली तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ, हरियाली से खुशहाली तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ. चाहो अन्न-धन-दालें-दवाई, वृक्ष
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