बाल कविता

वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ

चाहो अगर तुम हरियाली तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
हरियाली से खुशहाली तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

चाहो अन्न-धन-दालें-दवाई, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
फल-फूलों से चाहो मिताई, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

ईंधन को लकड़ी चाहो तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
लकड़ी से फर्नीचर चाहो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

खेल की चीजें ‘गर चाहो तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
कॉपी-किताब को कागज चाहो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

चाहो पूजा को तुलसी तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
छाया को ‘गर पेड़ बड़े तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

जीवन में रंग भरना हो तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
जीवन सुखमय करना हो तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

तितली के दर्शन चाहो तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
मधुमक्खी से मधु चाहो तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

चाहो बचे जो कटाव मिट्टी का, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
चाहो नियंत्रण वर्षा का तो, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

चाहो जीवन में रस आए, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ,
चाहो आनंद बरबस आए, वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ

  • लीला तिवानी

    जीवन का आधार वृक्ष हैं,
    धरती का श्रृंगार वृक्ष हैं।

    प्राणवायु दे रहे सभी को,
    ऐसे परम उदार वृक्ष हैं।

    ईश्वर के अनुदान वृक्ष हैं,
    फल-फूलों की खान वृक्ष हैं।

    मूल्यवान औषधियां देते,
    ऐसे दिव्य महान वृक्ष हैं।

    देते शीतल छांव वृक्ष हैं,
    रोकें थकते पांव वृक्ष हैं।

    लाखों जीव बसेरा करते,
    जैसे सुंदर गांव वृक्ष हैं।

    जनजीवन के साथ वृक्ष हैं,
    खुशियों की बारात वृक्ष हैं।

    योगदान से इस धरती पर,
    ले आते वरदान वृक्ष हैं।

    जीव-जगत की भूख मिटाते,
    ये सुंदर फलदार वृक्ष हैं।

    जीवन का आधार वृक्ष हैं,
    धरती का श्रृंगार वृक्ष हैं।

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