ग़ज़ल
हर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है सिलसिला चार पल की जिंदगी में मिल
Read Moreनजर फ़ेर ली है खफ़ा हो गया हूँ बिछुड़ कर किसी से जुदा हो गया हूँ मैं किससे करूँ बेबफाई
Read Moreपाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो बसेरा
Read Moreहर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है सिलसिला चार पल की जिंदगी
Read Moreकैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहें यारों गर कोई देखना चाहें बतन मेरे बो आ जाये तिजोरी में
Read Moreउनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है जब
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