ग़ुब्बारे वाला
बचपन में एक झोले वाला मुझको बड़ा रिझाता था हाथों में बांसुरी लिए मधुर तान सुनाता था सुरम्य रसीली बंसी
Read Moreबचपन में एक झोले वाला मुझको बड़ा रिझाता था हाथों में बांसुरी लिए मधुर तान सुनाता था सुरम्य रसीली बंसी
Read Moreबस दो बूंद अश्रु के मेरी आंखों से भी बहेंगे छिन गये घर के चिराग जिनके उनके गम को क्या
Read Moreहमने इंसान को इन्सान तोड़ते देखा दरमियां दिलों के दीवार जोड़ते देखा भेस बदल कर घूमे ‘मधुर’ यहाँ वहाँ कितनों
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