चतुष्पदी
“चतुष्पदी” वही नाव गाड़ी चढ़ी, जो करती नद पार। पानी का सब खेल है, सूख गई जलधार। किया समय से
Read More“विधा-छंदमुक्त” रूठकर चाँदनी कुछ स्याह सी लगी बादल श्वेत से श्याम हो चला है क्या पता बरसेगा या सुखा देगा
Read More“छंद मुक्त काव्य” अनवरत जलती है समय बेसमय जलती है आँधी व तूफान से लड़ती घनघोर अंधेरों से भिड़ती है
Read Moreवागीश्वरी (सात यगण+लघु गुरु) सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/12, 23 वर्ण “वागीश्वरी सवैया” उठो जी सवेरे सवेरे उठो जी, उगी लालिमा
Read More