“हाइकु”
उड़ते खग विश्वास अडिग है उठे न पग॥-1 अंधी दौड़ है त्रिभंगी ढ़लान है क्या पहाड़ है॥-2 चिड़िया गाए डाली
Read Moreआज रश्मि के खुशी का ठिकाना नहीं है, हो भी क्यों नहीं, सम्मान किसको प्यारा नहीं होता। प्रतिपल सभी यही
Read Moreबरसत मेघा नयनन मूँद विचरत भौंरा कलियन बूँद।। मधुरम वाणी अनहद प्रीत। बिहरत प्राणी समझत रीत।। घट घट ब्यापे नवतर
Read Moreचाय की थी चाहत गुलशन खिला दिया सैर को निकले थे जबरन पिला दिया उड़ती हुई गुबार दिखी दो गिलास
Read Moreलघुकथा सुनयना रोज-रोज के खिटखिट से तंग आ चुकी थी, झल्लाकर चीख पड़ी ससुराल के वाहियात ताने सुन- सुनकर। आखिर
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