“चौपाली चर्चा में विकास और प्रकाश”
वसुधैव कटुम्बकम के आग्रही, नेक नियति के पथ पर चलने वाले झिनकू भैया न जाने कहाँ कहाँ भटकते रहते हैं
Read Moreवसुधैव कटुम्बकम के आग्रही, नेक नियति के पथ पर चलने वाले झिनकू भैया न जाने कहाँ कहाँ भटकते रहते हैं
Read Moreबाल्मीकि के आश्रम आई, अनुज लखन सिय साथ निभाई माँ सीता पर आँख उठाई, कोशल की चरचा प्रभुताई ।।-1 ऋषी
Read Moreभूषण आभूषण खिले, खिल रहे अलंकार। गहना इज्जत आबरू, विभूषित संस्कार। यदा कदा दिखती प्रभा, मर्यादा सम्मान- हरी घास उगती
Read Moreयह तो प्रति हुंकार है, नव दिन का संग्राम। रावण को मूर्छा हुई, मेघनाथ सुर धाम। मंदोदरी महान थी, किया
Read More“कैसा घर कैसी पहचान” वो गाँव का दशहरा मोटू की दुकान मिठाई तो बहुत है सजावट सहित है पर कहाँ
Read Moreजी हाँ सर, मुझे आज भी याद है 1978 की वह शाम जब मैंने माँ दुर्गा जी का दर्शन कलकत्ता
Read Moreछंद, विधान~[ नगण नगण सगण गुरु गुरु] ( 111 111 112 2 2 ) 11वर्ण,4 चरण, दो चरण समतुकांत सकल
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