मुक्तक (लोरी) : घन/मेघ/बादल
माई माई के भाई मामा चंदा की मिताई लेके दूध भात आजा मीठी भरी रसमलाई आजा हो चंदा मामा ले
Read Moreमाई माई के भाई मामा चंदा की मिताई लेके दूध भात आजा मीठी भरी रसमलाई आजा हो चंदा मामा ले
Read Moreनाचत, गावत शोर मचावत, बाजत सावन में मुरली है भोर भयो चित चोर गयो भरि, चाहत मोहन ने हर ली
Read Moreबरसात में यह कौन है? जो कुंडी खटखटा रहा है देखों तो कौन बेअदब अभी पानी भीगा रहा है॥ कटकटा
Read Moreअति का भला न बोलना, अति की भली न चूप। अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप॥
Read Moreमापनी 2122 2122 212 हाल ए गम में दिवाना आ गया उफ़ यहाँ तो मय खजाना आ गया साफ़ कर
Read Moreचित्र अभिव्यक्ति आयोजन आज मैं लाचार हूँ, उम्र की दहलीज पर बन सखी मेरी खड़ी, वैसाखी शरीर पर
Read Moreप्रदत शीर्षक — सुगंध, सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू आदि उपवन मेरा महक गया, आहट पिय की पाय अंगड़ाई लेने लगी,
Read Moreगुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर, प्रथम गुरु माता-पिता के साथ सभी बड़ों एवं गुरुजनों को सादर प्रणाम, हार्दिक बधाई (गीतिका
Read Moreमात्रा भार- 22 सुबह होती है तो शाम भी होती है असल चेहरों से पहचान भी होती है पर मन
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