“पद”
मोहन का तकि चित विसरायों मथुरा तजि गोकुल में आयो, पा तोही दुलरायों। जतन कियों जस मातु देवकी, किलकारी
Read Moreलगा है ज़ोर का झटका, चमन को आज धीरे से परिंदों की उठी आवाज, स्वरों में दम मजीरे से पत्तों
Read More16-14 पर यति, युग्म पंक्ति तुकांत और अंत में दो गुरु…….. कब तक होगा युद्ध तात जी, कबतक महि भारत
Read Moreलगा ज़ोर का झटका है धीरे से भाई लूटो तो तनिक सलीके से बिना आग के उठता नहीं धुआँ
Read Moreहर सुबहा की लालिमा, लाए खुशी अपार हनुमान सी सोच लिए, बालक है तैयार बालक है तैयार, पकड़ लूँ सूरज
Read Moreवो जमीं प्यार की, याद आने लगी वीणा बिनतार ही, कुनमुनाने लगी किस धुन पे चढ़ी, बावरी झुनझुनी अंगुलियाँ आपही,
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