गजल – मंजिलें अपनी हैं कुछ दूर
मंजिलें अपनी है कुछ दूर जरा धीरज धर अभी चलना है बहुत दूर जरा धीरज धर तू परेशान ना हो
Read Moreमंजिलें अपनी है कुछ दूर जरा धीरज धर अभी चलना है बहुत दूर जरा धीरज धर तू परेशान ना हो
Read Moreरात काली है बादल घनेरे भी हैँ पर इन्ही बादलोँ मे छुपा चाँद है . गम ना कर संग तेरे
Read More