Author: महेश तिवारी

सामाजिक

लेख– बजट में क्या बहुरेंगे किसान और बेरोजगारों के अच्छे दिन?

एक कहावत है, उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, वर्तमान में खेती भी खतरे से खाली नहीं है। कुशल जीवन व्यतीत करने

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सामाजिक

लेख– बढ़ती आर्थिक असमानता, समाज में बढ़ते हिंसात्मक और अराजक माहौल की जननी

संविधान हमें जीवन रक्षा का अधिकार ही नहीं देता, समानता और सामाजिक बराबरी की बात भी करता है। तो क्या

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

लेख– दिवस विशेष- देश के भीतर ही नहीं विदेशों में भी देवी सरस्वती के स्वरूप की महत्ता

हमारा देश संस्कृति औऱ सभ्यता प्रधान देश है। जिसमें अनेक त्यौहार ऐसे गूथे हुए हैं, जैसे कि किसी माला में

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राजनीति

लेख– सत्तारुढ़ होते ही राजनीतिक दलों के संकल्प धूलधूसरित क्यों हो जाते हैं?

लाभ के पद को लेकर, भ्रष्टाचार को राजनीति से ख़त्म करने निकली आम आदमी पार्टी का छद्म आडम्बर अब खुलकर

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राजनीति

लेख–चुनावी बयार में ही बहेगा देश, या समाज सुधार का वाहक भी बनेगा चुनावी लोकतंत्र

भारतीय लोकतंत्र का पर्याय चुनाव बन बैठा है। एक राज्य में चुनाव ख़त्म होता नहीं, कि दूसरे राज्य में बिगुल

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सामाजिक

लेख– जब तक समाज महिलाओं को हिक़ारत भरे नजरिए से देखता रहेगा, महिलाओं की दशा समाज में सुदृढ़ नहीं हो सकती।

ऐसा माना जाता है, शिक्षा व्यक्ति को बेहतर बनाती है, और दूसरों के प्रति संवेदनशील। शिक्षित समाज देश को नित्य

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