शब्द मोती
ये गजब पतझड़ का मौसम, शब्द मोती झर रहे हैं धवल चादर पर बिखर कर, अनकहा कुछ गढ़ रहे हैं।
Read Moreदो नैनो से एक तीर चलेजब दिल मे लगे सब घाव भरेदिखता ही नहीं है ज़ख्म कोईजो दर्द मेरा हमदर्द
Read Moreसच के लिफाफे मेंझूठ भी छिपा हैकसमों और वादों कीबड़ी लम्बी सूची बनाई हैज़रूरत पड़ने परएक-एक नाम कटते गएयही भरपाई
Read Moreयुगों युगों तक करी प्रतीक्षा, लिया जनम भी बारंबार कभी द्रौपदी, कभी मंदोदरी, मीरा और तारा भी बनी कभी अनुसुइया
Read Moreबीत रहा ये जीवन प्रतिपल, सूर्य उदित होता ए प्रतिदिन। मेरी राते बीते दिन गिन, अब तक दिखी न
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