प्रण
प्रण चिर दग्ध दुखी वसुधा को , भय त्रस्त भ्रमित मानव को , अलौकिक सुख की आशा में , बाँधने
Read Moreगुरू तुम्हारे प्यार का उपकार मैं कैसे चुकाऊँ | ज्ञान के अनमोल धन का मोल मैं कैसे चुकाऊँ | गुरु
Read Moreआग नफ़रत की अब बुझानी है | प्यार की हर शमा जलानी है | प्यार से फूल जहाँ में खिलते
Read More31/8/18 प्यार में वो अश्क दामन भर गये | हाय यों लगता निकल गौहर गये | बेसबब भटका किये हम
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