ऋषि दयानन्द ने वेदोद्धार सहित अन्धविश्वास एवं कुरीतियों को दूर किया था
ओ३म् प्रकाश करने की आवश्यकता वहां होती है जहां अन्धकार होता है। जहां प्रकाश होता है वहां दीपक जलाने वा
Read Moreओ३म् प्रकाश करने की आवश्यकता वहां होती है जहां अन्धकार होता है। जहां प्रकाश होता है वहां दीपक जलाने वा
Read Moreओ३म् मनुष्य चेतन प्राणी है। चेतन होने के कारण इसे सुख व दुख की अनुभूति होती है। सभी मनुष्य सुख
Read Moreओ३म् वेद सृष्टि के आदि ग्रन्थ होने सहित ज्ञान व विज्ञान से युक्त पुस्तक हैं। वेद जितना प्राचीन एवं सत्य
Read Moreओ३म् मनुष्य अल्पज्ञ प्राणी है। परमात्मा ने सब प्राणियों को स्वभाविक ज्ञान दिया है। मनुष्येतर प्राणियों को अपने माता, पिता
Read Moreओ३म् हमारा मनुष्य जन्म हमें क्यों मिला है? इसका उत्तर है कि हमने पूर्वजन्म में जो कर्म किये थे, उन
Read Moreओ३म् हम इस संसार में जन्में हैं व इसमें निवास कर रहे हैं। हमारी आंखें सीमित दूरी तक ही देख
Read Moreओ३म् मनुष्य जब किसी कार्य को उचित रीति से ज्ञानपूर्वक करता है तो उसका इष्ट व प्रयोजन सिद्ध होता है।
Read Moreओ३म् वैदिक धर्म वह धर्म है जिसका आविर्भाव ईश्वर प्रदत्त ज्ञान, ‘वेद’ के पालन व आचरण से हुआ है। वैदिक
Read Moreओ३म् हमारी सृष्टि ईश्वर की रचना है। यह ऐसी रचना है जिसकी उपमा हम अन्य किसी रचना से नहीं दे
Read Moreओ३म् परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को देने का उद्देश्य अमैथुनी सृष्टि
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