वेदों की रक्षा व प्रचार से ही विश्व में मानवता की रक्षा सम्भव है
ओ३म् मनुष्य को दुर्गुणों व दुव्र्यसनों सहित अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या सामाजिक परम्पराओं सहित अन्याय व शोषण से रहित मनुष्य
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Read Moreओ३म् मनुष्य स्वयं को मनुष्य कहता है परन्तु मनुष्य किसे कहते हैं, इस पर वह कभी विचार नहीं करता। हमारे
Read Moreओ३म् वैदिक धर्म एक मात्र धर्म है और अन्य सभी संगठन व संस्थायें मत, पंथ, सम्प्रदाय आदि हैं। धर्म उसे
Read Moreओ३म् सभी मनुष्यों के पास परमात्मा का दिया हुआ शरीर एवं बुद्धि होती है। बुद्धि से मनुष्य संसार सहित ईश्वर,
Read Moreओ३म् हम मनुष्य के रुप में जन्में हैं। हमें यह जन्म हमारी इच्छा से नहीं मिला। इसका निर्धारण सृष्टि के
Read Moreओ३म् मनुष्य व सभी प्राणी इस मृत्यु लोक में जन्म लेते हैं। शैशवावस्था से बाल, किशोर, युवा, सम्पूर्ति तथा वृद्धावस्था
Read Moreओ३म् मनुष्य जो भी कर्म करता है उससे उसे लाभ व हानि दोनों में से एक अवश्य होता है। लाभ
Read Moreओ३म् संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। जो मनुष्य जिस मत व सम्प्रदाय का अनुयायी होता है वह अपने मत,
Read Moreओ३म् हम इस संसार आये और रह रहे हैं परन्तु हमें यह नहीं पता कि हम कहां से आये, हमें
Read Moreओ३म् डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई आर्यसमाज के प्रमुख एवं शीर्ष विद्वानों में हैं। आपने वैदिक आर्ष प्रणाली से विद्याध्ययन किया
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