माता-पिता के समान परमात्मा ने स्वप्रजा जीवों के लिये सृष्टि बनाई है
ओ३म् हम संसार में अपने व अन्य माता-पिताओं को देखते हैं जो अपनी सन्तानों जन्म व उससे पूर्व से ही
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Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द एक सत्यान्वेषी सत्पुरुष थे। वह सच्चे ईश्वर को प्राप्त करने तथा मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के
Read Moreओ३म् हमारे देश में कुछ वाक्य व सूत्र प्रचलित हो गये हैं जिनमें से एक सूत्र वाक्य है ‘सेवा परमो
Read Moreओ३म् मनुष्य के अनेक कर्तव्य होते हैं। आर्यसमाज का वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल एक नियम है ‘सब मनुष्यों को सामाजिक
Read Moreओ३म् मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि इसे सुख से राग है तथा दुःखों से द्वेष है। सब मनुष्य सुख
Read Moreओ३म् मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है
Read Moreओ३म् आर्यसमाज एक सच्ची धार्मिक एवं सामाजिक संस्था है। इसके साथ ही यह सबसे अधिक देशभक्त संस्था भी है। इसकी
Read Moreओ३म् मनुष्य इस संसार में कहां से आया है उसे इसका ज्ञान नहीं है? सभी मनुष्यों की मृत्यु निश्चित है।
Read Moreओ३म् मनुष्य के जीवन का आरम्भ जन्म से होता है और मृत्यु पर समाप्त हो जाता है। बहुत से लोग
Read More–स्मृतियों के झरोखे से- (निवेदनः श्रीमती दीप्ति रोहतगी, बरेली वेदभाष्यकार प्रवर विद्वान आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की दौहित्री हैं।
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