Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

माता-पिता के समान परमात्मा ने स्वप्रजा जीवों के लिये सृष्टि बनाई है

ओ३म् हम संसार में अपने व अन्य माता-पिताओं को देखते हैं जो अपनी सन्तानों जन्म व उससे पूर्व से ही

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

गुरु विरजानंद की प्रेरणा से ऋषि दयानंद ने देश से अविद्या दूर की

ओ३म् ऋषि दयानन्द एक सत्यान्वेषी सत्पुरुष थे। वह सच्चे ईश्वर को प्राप्त करने तथा मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मबालोपयोगी लेखसामाजिक

सेवा परमो धर्मः सूत्र-वाक्य की परीक्षा

ओ३म् हमारे देश में कुछ वाक्य व सूत्र प्रचलित हो गये हैं जिनमें से एक सूत्र वाक्य है ‘सेवा परमो

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सामाजिक

राष्ट्र-धर्म का पालन देश के सभी नागरिकों का सर्वोपरि कर्तव्य

ओ३म् मनुष्य के अनेक कर्तव्य होते हैं। आर्यसमाज का वैदिक सिद्धान्तों के अनुकूल एक नियम है ‘सब मनुष्यों को सामाजिक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अध्ययन से ज्ञान प्राप्ति की तरह ही शुभ कर्मों से सुख प्राप्त होता है

ओ३म् मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि इसे सुख से राग है तथा दुःखों से द्वेष है। सब मनुष्य सुख

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानकर उसकी आज्ञाओं का पालन ही धर्म है

ओ३म् मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैदिक धर्म की अनुयायी आर्यसमाज सबसे भिन्न आदर्श धार्मिक संस्था हैं

ओ३म् आर्यसमाज एक सच्ची धार्मिक एवं सामाजिक संस्था है। इसके साथ ही यह सबसे अधिक देशभक्त संस्था भी है। इसकी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य के पास अपने जीवनदाता परमेश्वर को जानने का भी समय नहीं है

ओ३म् मनुष्य इस संसार में कहां से आया है उसे इसका ज्ञान नहीं है? सभी मनुष्यों की मृत्यु निश्चित है।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल

ओ३म् मनुष्य के जीवन का आरम्भ जन्म से होता है और मृत्यु पर समाप्त हो जाता है। बहुत से लोग

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संस्मरण

स्वामी श्रद्धानन्द जी की पुत्र-वधु और पं. इन्द्र वाचस्पति जी की धर्मपत्नी माता चन्द्रावती जी

–स्मृतियों के झरोखे से- (निवेदनः श्रीमती दीप्ति रोहतगी, बरेली वेदभाष्यकार प्रवर विद्वान आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की दौहित्री हैं।

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