आर्यसमाज के विद्वानों, नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को निःस्वार्थ भाव से एवं निर्भीकतापूर्वक वेदों का प्रचार करना चाहिये
ओ३म् महर्षि दयानन्द के आगमन से लोगों को यह ज्ञात हुआ कि विद्या व ज्ञान भी सत्य एवं असत्य दो
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द के आगमन से लोगों को यह ज्ञात हुआ कि विद्या व ज्ञान भी सत्य एवं असत्य दो
Read Moreओ३म् हम इस संसार में रहते हैं। हमें यह सृष्टि बनी बनाई मिली है। इसमें सूर्य, चन्द्र, पृथिवी को तो
Read Moreओ३म् ईश्वर ने यह संसार अपनी शाश्वत् प्रजा जीवों के सुख के लिये बनाया है। हमारा कर्तव्य है कि हम
Read Moreओ३म् गुरुकुल कांगड़ी के एक पुराने स्नातक पं0 भगवद्दत्त वेदालंकार हुए हैं। उनकी एक पुस्तक है ‘‘वेद विमर्श”। पुस्तक में
Read Moreपरमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द के अनुसंधान प्रधान जीवन चरित लेखकों में स्वनामधन्य पं0 देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय जी का नाम प्रमुख विद्वानों में
Read Moreओ३म् हम मनुष्य हैं। हम वेदों एवं अपने पूर्वज ऋषियों आदि की सहायता से जानते हैं कि संसार में जितनी
Read Moreओ३म् वेद शब्द का अर्थ ज्ञान है। वेद नामी ज्ञान ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद नाम की चार मन्त्र संहिताओं
Read Moreओ३म् क्या हम अपने आप को जानते हैं? इसका उत्तर यह हो सकता है कि हम अपने आप को पूरी
Read Moreओ३म् हम मनुष्य है और हमारा जन्म हुआ है। मनुष्य की आयु पर विचार करें तो यह अनिश्चित होती है।
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