कविता : देशद्रोहियों से
चीखो मत चिल्लाओ मत ऐसे शोर मचाओ मत इनका मकसद धोखेबाज़ी बातो मे सब आओ मत जिस थाली मे खाता
Read Moreचीखो मत चिल्लाओ मत ऐसे शोर मचाओ मत इनका मकसद धोखेबाज़ी बातो मे सब आओ मत जिस थाली मे खाता
Read Moreआज 19 जनवरी है ….आज के दिन सन् 1990 में काश्मीर की घाटी से हिन्दुओ को निकाल दिया गया था …
Read Moreएक हाथ में तीर एक में लालटेन विद्यमान दोनों बेटे सेट किये पूरे दिल के अरमान लिखे अपेक्षा पढ़े उपेक्षा
Read Moreसत्य हमेशा कहता हूं अब खुल्लम खुल्ला बोलूँगा कोई कुछ भी सोचे “उनको” इक पलड़े में तोलूँगा मैंने भी थे
Read Moreहे पत्नी तुम ही हो भार्या , तू ही बेटर हाफ घर के संग में करती , पॉकेट भी तू
Read Moreअपराधी के संग तू घूमे , और हमें गरियाता है कल तक जिससे लड़ता था तू , आज मित्र का
Read Moreदिल में जब अंगार भरे हो कैसे फिर श्रृंगार लिखू आँखों में अश्रुधारा ले कह दो कैसे प्यार लिखूँ जिसने
Read Moreकभी कुचल दी जाती हु कभी मसल दी जाती हु कभी पेड़ पे लटकी या कब्र में लेटी हूँ ,
Read Moreआते ही चुनाव के नेता , छोड़ के आते सारे काम हाथ का पंजा , साइकिल हाथी ,दक्षिण पंथी या
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