ग़ज़ल
शेर जो इंतिख़ाब होते हैंखुद ही अपना जवाब होते हैं जो मुस्कुराते हैं साथ कांटो केवही असली गुलाब होते हैं
Read Moreहम हो गए हैं नाटक के किरदार की तरहपढ़ते हैं लोग हमको भी अखबार की तरह बजती नहीं है तालियां
Read Moreनभ मंडल सूर्य सितारों का स्थान बदलने वाला हैजाने ऐसा क्यों लगता है हिंदुस्तान बदलने वाला है उठते हैं सार्थक
Read Moreगीत गजल दोहे चौपाई भटक रहे हैं मन मरुस्थल मेंकिस से पीर बताई जाए यह भी गायब वह भी गायबमंच
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