लन्तरानी
बड़े-बड़े किस्से होते हम जिसे जुबानी कहते हैं ऐसे थे हम वैसे थे नित नई कहानी कहते हैं गढ़ते रोज
Read Moreमूरख हिंदू कब जागेगा गहरी निंद्रा को त्यागेगा बढ़ा रहे हैं वह आबादी देश से छीनेगे आजादी मजहब से कानून
Read Moreसुबह दोपहर शाम वही है और रातों का वही हाल है कुछ भी नया नहीं है यारों कैसे कह दें
Read Moreअ से अक्षर ज्ञान बना है आ से है आदर्श बना इ से इमली ई से ईख उ से उत्तम
Read Moreतोड रहे सब मर्यादाएं बिगड़े बोल सियासत के देखो क्या क्या रंग दिखाए बिगड़े बोल सियासत की सबसे ऊपर राष्ट्र
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