अहिल्या की पीड़ा
जैसे तैसे जल रहे हैं अब तलक हमसे दिये यातनाओं के शिविर में कब तलक कोई जिये था अहम मुनि
Read Moreजैसे तैसे जल रहे हैं अब तलक हमसे दिये यातनाओं के शिविर में कब तलक कोई जिये था अहम मुनि
Read Moreशाख से टूटे हुए पत्ते बताते हैं व्यथा कल हमारे दम से रौनक थी इसी गुलजार में और सूखे फूल
Read Moreआ गया हूँ द्वार तेरे माँ स्वयं से हार कर याचना है बस यही विनती मेरी स्वीकार कर कोटि अरि
Read Moreदेश की जनता साथ तुम्हारे बढ़ते जाओ मोदी जी मंजिल नजर आ रही सबको कदम बढ़ाओ मोदी जी छोटी मोटी
Read Moreसब के है सामने मेरा बस इक यही सवाल कैसे मिली आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल कितने जवां शहीद हुए
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