अंधेरों का भरम
था अंधेरों का भरम सारे उजाले निकले जो सभी साथ थे सब लूटने वाले निकले * घर को था बंद
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Read Moreखुद से खुद को ही मिलने का अवसर यह पहली बार मिला लॉक डाउन ने मौका ये दिया जीवन को
Read Moreजन -जीवन का आधार सतत वह ज्योति पुंज सविता ही है बंजर उपवन करने वाली जलधार सलिल सरिता ही है जो
Read Moreवक़्त के हाथो पिटे शतरंज के मोहरे हैं हम खेल जब तक हो न अगला बेसबब हैं क्या करें स्वतः
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