लघु उपन्यास : करवट (आठवीं और अंतिम क़िस्त)
एक-एक थाल में दोनों ओर से लोग तिलक करने का सामान ले कर तैयार थे। अपने विशिष्ट अतिथि ठाकुर साहब और
Read Moreएक-एक थाल में दोनों ओर से लोग तिलक करने का सामान ले कर तैयार थे। अपने विशिष्ट अतिथि ठाकुर साहब और
Read Moreदिव्यशक्तियों सी अनुभूति कराने वाला, धूल धूसरित रहने वाला रमुवा, सफेद ऐप्रन पहनकर आला गले में शिवशक्तियुक्त, गांव और पूरे पंचायत का
Read Moreबेहद रोचक है ये संगीत, जीवन के हर पल में है संगीत। बचपन की किलकारियों में है संगीत, यौवन का
Read Moreरात के दस बजे थे, रामकुमार अपनी परीक्षा की तैयारी में व्यस्त था, तभी जोर की आवाज हुई और बिजली
Read Moreखाना खाकर मानसी ने अपने बच्चों के साथ ही सोने को कहा, तो रामकुमार को बड़ा ही अटपटा सा लगा। उसने
Read Moreठाकुर साहब ने कहा कि शहर में पहुँच कर मानसी बुआ के यहां इन्द्रानगर में चले जाना और वहाँ पहुँचने के
Read Moreमेरे मन की पीड़ा भी अजीब है, किसी दर के सामने रूकती नहीं। ’’’’’’’ हर नस में इसका असर हुआ,
Read Moreअगली सुबह रमुआ को लेकर धनुवा दीवानपुर प्राइमरी पाठशाला पर पहँुचा तो प्रधानाचार्य तिवारी जी से सीधे बात हुई। तिवारी जी
Read Moreरधिया ने चार आलू काटकर, दो प्याज की महीन फाँकें काटकर कराही में छौंक लगा दी और दूसरी तरफ चूल्हे
Read Moreदिवाना पर प्यार का प्यासा, उनकी आंखों में खोया हुआ, बस ढूढता हूॅ प्यार का तिनका, जो उनकी आखों में
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