कहाँ जा के…
कहाँ जा के रुकेगा जाने ये कुदरत का कहर। ज़िन्दगी लगने लगी जैसे पल-दो-पल का सफ़र।। अपना बोया हुआ ही
Read Moreकहाँ जा के रुकेगा जाने ये कुदरत का कहर। ज़िन्दगी लगने लगी जैसे पल-दो-पल का सफ़र।। अपना बोया हुआ ही
Read Moreअजी अदब से आज फिर लो मुस्कुराया गया। दर्द लिखा गया और लिख के गुनगुनाया गया।। समन्दर आँख का सारा,
Read Moreराह आसान होगी, अगर सीख ले। तू सफीने की करना कदर सीख ले। पीर तेरी मेरी या, किसी की भी
Read Moreएक घना जंगल था। उसमे तरह तरह के पेड़ पौधे थे। भांति भांति के फल-फूल, पशु-पक्षी जंगल की शोभा में
Read Moreगुड़िया की शादी बात सुनो न दादी प्यारी।।
Read Moreहोने लगे जो तबाह खुद तो पूछते हो तबाही क्यों…? पहाड़ नदियाँ अन्तरिक्ष और चांद काबू में किया। पनडुब्बियाँ तकनीकी
Read Moreआसमानों में दिन चढ़े ज्यूँ आफताब जले। जलने वाले कुछ इस कदर बेहिसाब जले।। वतन की इस तरह तकदीरें
Read Moreजीना अगर तुम ज़रा चाहते हो। तो ज़ख्मों का रंग क्यों हरा चाहते हो।। गुनाहों से तौबा सी करने का
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