बेटे की विदाई
“मौसी पागल हो गई हो क्या … बेटे की शादी से पहले ही उसके लिए अपना दूसरा वाला घर ठीक
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Read Moreरात बेवजह ही अपने पे गुमां करती है। हर एक शय इसके दामन में निहाँ करती है।। रास्तों को तकते
Read Moreग़ज़ल ए दोस्त दोस्ती का, इतना सा भरम रखना। महफ़िल में लोग होंगे, लहज़े को नरम रखना।। यूँ चीखने चिल्लाने
Read Moreपिता की चहेती दीना कुछ बरस पहले पराई हो चुकी थी। बेचारे ललकु ने अपनी हैसियत से कुछ ज्यादा ही
Read Moreग़ज़ल जलता है आंगन, तपती है देहरी। सुबह से शुरू होने लगती दोपहरी।। आसानी से अब ये पटती कहाँ हैं।
Read More“नन्दू दीईई…..” बाजार में नन्दिनी को अचानक देखा तो खुद को रोक नही पायी ऋचा। “नन्दू दी रुकिए ज़रा,” अपनी तरफ
Read Moreदस दिन हो गए थे केशव को घर आए। आया तो वो पिता की मृत्यु पर था, पर वापिस जाने
Read Moreरात हुई हम चले थे सोने। और मीठे सपनों में खोने। तभी कहीं से मच्छर आया। उसने हमको गीत सुनाया।
Read Moreआसमान में कितने तारे? गिन गिन भैया हम तो हारे। बादल में यूँ छुप जाते हैं। जैसे हमसे शरमाते हैं।
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