शाख ए गुल छेड़ के….
शाख ए गुल छेड़ के नग्में वो गुनगुनाता है। क्यों गये वक्त सा, खुद को खड़ा दोहराता है।। किसी
Read Moreशाख ए गुल छेड़ के नग्में वो गुनगुनाता है। क्यों गये वक्त सा, खुद को खड़ा दोहराता है।। किसी
Read Moreदेख रही बस ओर तुम्हारी, सूझे न कुछ, न भाए मुझे। आए जिस क्षण ध्यान में तुम, कुछ और ध्यान
Read Moreपीठ पीछे न कर कमाल साहिब। सामने आ के कर सवाल साहिब।। कत्ल तुमने किये, चुप है दुनिया। छेड़
Read Moreसबको आता है सुकूँ आग क्यों लगाने में। है बुरी बात यही एक, बस ज़माने में।। अभी तो शिरकतें
Read Moreपापा अब मैं हुई बड़ी। ला दो मुझको एक घड़ी। बिलकुल भैया के जैसी। न लूँगी ऐसी वैसी। स्कूल पहन
Read Moreएक मुर्गी के चूज़े चार। मुर्गी करती उनको प्यार। चारों बहुत ही थे नटखट। दिनभर करते थे खटपट। एक दिन
Read Moreदर्द मिलना हुजूर जारी है। कहिये क्या आप की तैयारी है।। रंगत सच की सफेद है माना। झूठ की
Read Moreपहले पत्थर हुआ होगा, फिर तराशा गया होगा। उसी के बाद लोगों ने खुदा जैसा कहा होगा।। लोग कहते
Read Moreमाना कि वक्त हमारा नहीं है। पर थमना भी तो गंवारा नहीं है।। मंज़िल एक रोज़ मिलेगी रख सबर।
Read Moreकीजिये यकीन मेरा, कि ये गुस्ताखी नहीं। और रखिए आप, इतनी रंजिशें काफी नहीं।। आपको है क्या ज़रूरत, यूँ उठाने
Read More