जितने बैठे दूर नज़र से
जितने बैठे दूर नज़र से, दिल के उतने पास हो तुम। न होकर भी यहीं कहीं हो, ये कैसा एहसास
Read Moreजितने बैठे दूर नज़र से, दिल के उतने पास हो तुम। न होकर भी यहीं कहीं हो, ये कैसा एहसास
Read Moreनीला गगन उधार लिया, थोड़ी सी धरा रहे मुझमे। थोड़ी अग्नि थोड़ा सा जल, मीठी सी हवा बहे मुझमे। इस
Read Moreलाख ज़ुबाँ पे हों पहरे ख़ामोशी सब कह जाती है। सुनने वाला हो कोई चुप की दीवारें ढह जाती हैं।।
Read Moreवो कांच के टुकड़ों पे नँगे पाँव रोज़ चल रहा है। ख्वाब एक बेशर्म फिर भी पलकों तले पल रहा
Read Moreबन के शहर की एक खबर रहा हूँ मैं। ऐसा कब हुआ कि बेअसर रहा हूँ मैं। सांसों का ये
Read Moreकभी खोटा कभी लगता खरा है। वक्त सब से बड़ा ही मसखरा है।। फरक क्या है जहाँ में और तुझ
Read More‘करुणा, गैलरी में बाएं वाला अंतिम कमरा दमयंती जी का है। वहां कतई मत जाना… तीन वर्ष से कोमा में
Read Moreतपते रेत का दरिया है आबशार नहीं है। ज़िन्दगी किसी की भी गुलज़ार नहीं है। कागज़ कलम की धड़कने
Read Moreचम्पू बन्दर मस्त कलंदर। चलता देखो कैसे तन कर। पढ़ने में थोड़ा सा कम पर। शैतानी में पहला नम्बर। डाल
Read Moreदेहरी पर माटी का दिया जल रहा था। रात की गोद में सपना सा पल रहा था। कभी हवा, कभी
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