ग़ज़ल
मौसम की अंगड़ाई समझ, यह बदली क्यों छाई समझ। आंखें तेरी रोशन हैं, फिर क्यों ठोकर खाई समझ लिखने से
Read Moreअगर है परेशानी तो है। क्या इससे पहले हमने कभी परेशानी नहीं झेली ? क्या इससे पहले हम कभी कतारों
Read Moreहे कृष्ण ! कहाँ छिपे हो क्यों नहीं आते क्यों नहीं लेते अवतार क्या तुम भी घबराने लगे हो इन
Read Moreजब भी पलकें बन्द करती हूँ आंखों के भीतर तुम्हारी आंखें दिखाई पड़ती हैं तुम्हारी आंखें सारी दुनिया भुला कर
Read More