अपरिभाषित प्रेम
मैं तुम्हे कैसे बताऊँ कैसे समझाऊँ कि जो कुछ तुम मेरे बारे में सोचते हो वही सब कुछ मेरे अंतर्मन
Read Moreमैं तुम्हे कैसे बताऊँ कैसे समझाऊँ कि जो कुछ तुम मेरे बारे में सोचते हो वही सब कुछ मेरे अंतर्मन
Read Moreजब प्यार और विश्वास मिल जाते हैं एक जगह तब भी एक झीनी सी रेखा रहती है दोनों के बीच
Read Moreअगर है परेशानी तो है। क्या इससे पहले हमने कभी परेशानी नहीं झेली ? क्या इससे पहले हम कभी कतारों
Read Moreहे कृष्ण ! कहाँ छिपे हो क्यों नहीं आते क्यों नहीं लेते अवतार क्या तुम भी घबराने लगे हो इन
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