ग़ज़ल
अब दुवाओं के लिए हाथ उठाया जाए तेरे दर पे न् कभी जुल्म का साया जाए ।। हुस्न मगरूर हुआ
Read Moreमैकदों के पास आकर देखिये । तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।। वह नई उल्फ़त या नागन है कोई । गौर
Read Moreइक जख़्म पुराना है फिर जख़्म नया दोगे । मासूम मुहब्बत है कुछ दाग लगा दोगे ।। कमजर्फ जमाने में
Read Moreचाँद के आने से कुछ रातें सुहानी हो गईं । महफ़िलें गुलज़ार होकर जाफ़रानी हो गईं ।। काट लेते हैं
Read Moreकोई पक्का मकान थोरै है । दिन दशा कुछ ठिकान थोरै है ।। सिर्फ कुर्सी मा जान है अटकी
Read Moreइस तरह रूठ मत जाइए । आइये बस चले आइये ।। आज तो जश्न की रात है । मत गिला
Read Moreचाँद को जब भी सवाँरा जाएगा ।टूट कर कोई सितारा जाएगा ।। है कोई साजिश रकीबों की यहाँ ।जख़्म दिल
Read Moreइस तरह कुछ जोश में हद से गुज़र जाते हैं लोग। जुर्म की हर इन्तिहाँ को पार कर जाते हैं
Read Moreचाँद को, महफ़िल में आकर देखिये । इक ग़ज़ल मेरी सुनाकर देखिये ।। गर मिटानी हैं जिगर की ख्वाहिशें ।
Read Moreमिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया । याद आया फिर मुझे गुज़रा ज़माना शुक्रिया ।। ढल गई चेहरे
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