गीतिका/ग़ज़ल

आइए बस चले आइए

इस तरह रूठ मत जाइए ।
आइये बस चले आइये ।।

आज तो जश्न की रात है ।
मत गिला तक जुबाँ लाइए ।।

टूट जाए न दिल ही मेरा ।
जुल्म इतना नहीं ढाइये ।।

बेगुनाही पे चर्चा बहुत ।
कुछ सबूतों से भरमाइये ।।

जो तरन्नुम में था मैं सुना ।
गीत फिर से वही गाइये ।।

हम गिरफ्तार पहले से हैं ।
मत रपट कोई लिखवाइये।।

है ग़ज़ल में मेरे तू ही तू ।
एक मिसरा तो पढ़वाइये ।।

हूँ तेरे हुस्न का आइना ।
देखकर कुछ संवर जाइए ।।

धूप का है इरादा बुरा ।
बन के काली घटा छाइए ।।

कुछ तो मजबूरियां थीं तेरी ।
बेवजह मत कसम खाइये ।।

यह मुनासिब कहाँ है सनम ।
जख़्म से दिल को बहलाइये ।।

— नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक naveentripathi35@gmail.com