कविता : होली
होली ! हाँ कब की होली मैं तो तेरी पिया उस पल से जब तिरछी नजर से तुमने मुझे देखा
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Read Moreझुन्झुलाते हुए निमिषा ने फ़ोन बिस्तर पर पटक दिया और बुदबुदाने लगी- “कितना बिजी रहते हैं आप ? मेरे लिए तो फुर्सत
Read Moreरूल बना दिया था उसने। आज से कुछ भी हो सब एक साथ डेनिंग टेबल पर डिनर करेंगे। दिन रात
Read More“हाँ हाँ !! हमारी कार हैं ले जाएगा बाजार ! सारी दुनिया के बच्चे कार लेकर घूमते हैं एक इनको
Read Moreमाँ क्यों कहती थी तुम? बाहर जाओ तो एक पुरुष के साथ जाओ पिता , पति, पुत्र या भाई मैं
Read Moreतेरे यादों का लिहाफ ओढ़ कर मे कल सारी रात चलती रही तुम ऐसे तो न थे तुम ऐसे कब
Read Moreअकेले रात भर एक अजनबी शहर में मेरी याद तेरे सिरहाने बैठकर तुझे जगाये रखती है…….. हर पल ,पल पल
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